नया साल करीब एक महीना पुराना हो गया है, लेकिन विश्व क्रिकेट में जश्न का माहौल अब भी जारी है. टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट और वनडे सीरीज जीती है और अब न्यूजीलैंड में भी उसने दस साल बाद वनडे सीरीज जीत ली है. वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को अपने घर में हराकर सभी को हिला कर रख दिया है. टेस्ट क्रिकेट के लिए यह समय यादगार और बदलाव लाने वाला दिखाई दे रहा है. इस सब के बीच कुछ ऐसा भी हो रहा है जो परेशान कर देने वाला है और इस खेल की प्रतिष्ठा के लिए घातक है. इसी महीने इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने श्रीलंका के खिलाड़ियों को 15 दिन का समय देने की घोषणा की. इस माफी वाली विंडो में श्रीलंका के क्रिकेटरों को बताना था कि क्या उन्हें किसी ने भ्रष्ट करने की कोशिश की है. यानी किसी ने उन्हें मैच फिक्सिंग, स्पॉट फिक्सिंग या पिच फिक्सिंग के लिए पैसा देने की पेशकश तो नहीं की है! ये भी पढ़ें- India vs New Zealand, 2nd ODI : स्मृति और मिताली के अर्धशतकों से भारत ने लगाई सीरीज जीत पर मुहर 16 जनवरी से शुरू हुई यह प्रक्रिया 31 जनवरी को खत्म हो रही है. आईसीसी के सूत्रों के अनुसार कई क्रिकेटर आगे आए हैं और उन्होंने इस संदर्भ में अपने अनुभव आईसीसी के एंटी करप्शन यूनिट के जासूसों के साथ साझा किए है. यह क्रिकेटर खेल के जरिए किसी तरह के भ्रष्टाचार करने में लिप्त थे या नहीं, वह बिल्कुल अलग मामला है. मुद्दा यह है कि आईसीसी को लग रहा है कि एक मुल्क की पूरी टीम के क्रिकेट पर इस खेल को भ्रष्ट करने वालों की पकड़ मजबूत हो गई है जो कि बेहद ही गंभीर मसला है. 15 दिन का समय दिए जाने के पीछे आईसीसी के हाथ लगी अहम सूचनाएं भी हो सकती हैं जो मैच फिक्सरों से संपर्क बनाए हुए खिलाड़ियों का पर्दाफाश कर सकती है. शायद इसलिए आईसीसी ने खुद क्रिकेटरों को मौका दिया है कि वह अपनी स्थिति खुद साफ करें. पाकिस्तान क्रिकेट को सबसे भ्रष्ट माना जाता रहा है. लेकिन हाल के सालों में श्रीलंकाई क्रिकेट में भ्रष्टाचार और जालसाजियों पर नजर डालने से लगता है कि पाकिस्तान ऐसे ही बदनाम है. कभी करोड़ों लोगों के हीरो रहे श्रीलंकाई विस्फोटक ओपनर सनत जयसूर्या के खिलाफ फिक्सिंग की जांच चल रही है. जयसूर्या पर जिन आरोपों की जांच हो रही है उनमें पिच फिक्सिंग भी है क्योंकि आईसीसी की भ्रष्टाचाररोधी इकाई ने जो धाराएं उन पर लगाई गई हैं, उनसे संकेत मिलता है कि उनकी इस सब में भूमिका की जांच हो रही है. उन्होंने न केवल जांच में सहयोग करने से इनकार कर दिया, बल्कि सबूतों को नष्ट कर दिया. असल में जयसूर्या का मामला सामने आने के बाद आईसीसी की जांच में कड़ी-दर-कड़ी खुलती गई. ऐसा माना जा रहा है कि जयसूर्या जैसे कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने मौजूदा टीम के कुछ सदस्यों को भ्रष्ट करने की कोशिश की. आईसीसी ने अभी इस बारे में खुल कर नहीं कहा है लेकिन मौजूदा जांच और 15 दिन की रियायत देने से साफ होता है कि यह जांच का आधार है. विश्व कप जीतने वाली टीम के कप्तान अर्जुन रणतुंगा लगातार पाठ कर रहे हैं कि 2011 के विश्व कप का फाइनल फिक्स था. उनका कहना है कि भारत के खिलाफ वह फाइनल श्रीलंका फिक्सिंग के कारण हारा. मैच फिक्सिंग, स्पॉट फिक्सिंग के अलावा श्रीलंका पिच फिक्सिंग का भी गवाह बना है. आईसीसी पिछले ढाई साल के दौरान गॉल क्रिकेट ग्राउंड के दो क्यूरेटरों पर प्रतिबंध लगा चुकी है, क्योंकि इन दोनों पर आरोप हैं कि उन्होंने पिच की जानकारी पहले से ही बुकियों को मुहैया करवा दी थी. ये भी पढ़ें- आर्थिक किल्लत से जूझ रहा साई, टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों पर पड़ सकता है असर! पाकिस्तान के बाद श्रीलंका क्रिकेट में भ्रष्टाचार का साया भारत के लिए चिंता की बात होनी चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं है कि बुकियों ने भारतीय खिलाड़ियों तक पहुंचने की कोशिशें बंद कर दी होंगी. कई जानकार तर्क देते हैं कि भारतीय क्रिकेटर इतना पैसा कमा रहे हैं कि उन्हें फिक्सरों का उन्हें अपने जाल में फंसाना संभव नहीं है. लेकिन सवाल यह भी है कि अगर ऐसा है तो आईपीएल 2013 का स्पॉट फिक्सिंग कांड कैसे हो गया!
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